Curriculum
in Hindi
(पाठ्यक्रम)
पाठ्यक्रम- शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली एक प्रक्रिया है। जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में निरंतर परिवर्तन होता है। व्यक्ति के व्यवहार में यह परिवर्तन अनेक माध्यमों से होता है। किंतु मुख्य रूप से या माध्यम दो रूपों में वर्गीकृत होता है।
1.
औपचारिक
2.
अनौपचारिक
औपचारिक रूप के अंतर्गत वे
माध्यम आते हैं जिनका नियोजन कुछ निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए व्यवस्थित ढंग
से संस्थापित संस्थाओं में किया जाता है इस प्रकार की संस्थाओं को विद्यालय कहा
जाता है किंतु व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन की प्रक्रिया विद्यालय एवं
विद्यालयी जीवन में ही पूर्ण नहीं हो पाती, अपितु यह विद्यालय से बाहर तथा जीवन भर चलती रहती है। व्यक्ति के व्यवहार में
होने वाले अनेक परिवर्तन विद्यालय की सीमा से बाहर की परिस्थितियों के
परिणामस्वरूप होते हैं क्योंकि ऐसी परिस्थितियां सुनियोजित ढंग से प्रस्तुत नहीं
की जाती। अतः यह अनौपचारिक माध्यम के अंतर्गत आती है।
पाठ्यक्रम का
अर्थ (Meaning
of Curriculum)-
पाठ्यक्रम शब्द अंग्रेजी
भाषा के 'curriculum' शब्द का हिंदी रूपांतरण है। पाठ्यक्रम शब्द लेटिन भाषा से अंग्रेजी
में लिया गया है तथा या लैटिन शब्द "Currere" से हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ है "दौड़ का मैदान"। दूसरे शब्दों में हम कह सकते है कि पाठ्यक्रम
का क्रम
है जिसे किसी
व्यक्ति को अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने के लिए एक साधन की जरूरत पड़ती है, जिसके द्वारा शिक्षा और जीवन के लक्ष्यों की
प्राप्त होती है।
शिक्षा की तुलना
दौड़ से की जाए तो पाठ्यक्रम उस दौड़ के मैदान के समान है जिसे पार करके दौड़ने
वाले अपने निश्चित लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं।
पाठ्यक्रम का
संकुचित अर्थ
(Narrow Meaning of
Curriculum) -
संकुचित तथा
परंपरागत अर्थ के अनुसार पाठ्यक्रम "अध्ययन का कोर्स" (course of study) या सिलेबस (syllabus) का पर्यायवाची माना जाता है। जिसमें केवल कुछ विषयों के तथ्यों की सीमाएं
निश्चित रहती है। इस प्रकार संकुचित अर्थ के अनुसार पाठ्यक्रम को केवल पुस्तके
ज्ञान तक सीमित कर दिया जाता है।
पाठ्यक्रम का
व्यापक अर्थ
(Wider Meaning of
Curriculum) -
वर्तमान में
पाठ्यक्रम का स्वरूप व्यापक हो गया है। यह अब केवल अध्ययन के कोर्स या सिलेबस तक
सीमित नहीं है। अब पाठ्यक्रम के अंतर्गत उन समस्त अनुभवों का समावेश होता है। जो
बालक अपने व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हेतु प्राप्त करता है। अतः व्यापक अर्थ
के अनुसार पाठ्यक्रम का तात्पर्य विद्यार्थियों के लिए आयोजित उन सभी अनुभवों तथा
क्रियाओं से है जो उनके तथा समाज के सर्वांगीण विकास में सहायक हो।
पाठ्यक्रम की
परिभाषा
(Definition of Curriculum)
-
विद्यालयों का
प्रमुख कार्य बालकों को शिक्षा प्रदान करना होता है और उन को पूर्ण करने के लिए
वहां पर जो कुछ सिखाया जाता है उसे पाठ्यक्रम का नाम दिया गया है। साथ ही
साथ पाठ्यक्रम समयानुसार परिवर्तन भी होता है तथा इसमें व्यापकता और
संकीर्णता भी आती रहती है। परंतु शिक्षाविदों को जब इस बात का एहसास होता है
कि विद्यालयों में शिक्षित युवक अपने भावी नवीन जीवन में सफल नहीं हो पा रहे हैं
तब पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया जाता है। पाठ्यक्रम की व्यापकता की दृष्टि से अनेक
विद्वानों ने पाठ्यक्रम को अपने अपने ढंग से निम्नलिखित रुप में परिभाषित किया है-
1.
कनिंघम के अनुसार- "पाठ्यक्रम कलाकार (शिक्षक) के हाथ में एक
साधन है जिससे वह अपनी सामग्री (शिक्षार्थी) को अपने आदर्श, उद्देश्य के अनुसार अपनी चित्रशाला
(विद्यालय) में ढाल सकता है।"
According to Cunningham,- "The curriculum is a tool in the hands of the artist
(teacher) to mould this material (the pupil) according to his ideas
(objectives) in his studio (the school)."
2. पॉल हिरस्ट के
अनुसार, “पाठ्यक्रम ऐसी गतिविधियों का समायोजन है जिनके द्वारा
छात्र जहाँ तक सम्भव हो, निश्चित
परिणामों व उद्देश्यों को प्राप्त करते हैं।"
According
to Paul Hirst,- “A
programme of activities designed so that pupil will attain as far as possible
certain educational ends or objectives.”
3. मुनरो के
अनुसार,- “पाठ्यक्रम
सारे अनुभवों को अपने में सम्मिलित करता है जिसका प्रयोग विद्यालय द्वारा बालक को
शिक्षित करने के उद्देश्य से होता है।"
According to Munro,- “Curriculum
includes all the experiences which are utilized by the school to attain the aim
of education."
4. माध्यमिक शिक्षा आयोग (1952-53)- “पाठ्यक्रम का अर्थ केवल उन सैद्धान्तिक
विषयों से नहीं है जो विद्यालयों में परम्परागत रूप से पढ़ाए जाते हैं बल्कि इसमें
अनुभवों की वह सम्पूर्णता भी सम्मिलित होती है, जिनको
विद्यार्थी विद्यालय, कक्षा, पुस्तकालय,
प्रयोगशाला, कार्यशाला, खेल
के मैदान तथा शिक्षक एवं छात्रों के अनेक अनौपचारिक सम्पर्कों से प्राप्त करता है।
इस प्रकार विद्यालय का सम्पूर्ण जीवन पाठ्यक्रम हो जाता है जो छात्रों के जीवन के
सभी पक्षों को प्रभावित करता है और उनके सन्तुलित व्यक्तित्व के विकास में सहायता
देता है।"
5. होर्नी के
शब्दों में,- “पाठ्यक्रम वह है
जो शिक्षार्थी को पढ़ाया जाता है। वह शान्तिपूर्ण पढ़ने या सीखने से अधिक है।
इसमें उद्योग, व्यवसाय, ज्ञानोपार्जन, अभ्यास और क्रियाएँ शामिल हैं।"
According to Horne,- “The curriculum is
that which the pupil is taught. It involves more than the acts of learning and
quiet study. It involves occupations, productions, achievements exercise and
activity."
6. फ्रॉबेल के
अनुसार,- “पाठ्यक्रम सम्पूर्ण मानव जाति के ज्ञान एवं
अनुभव का प्रतिरूप होना चाहिए।"
According to Froebel,- “Curriculum should be conceived as an epitome of the rounded
whole of the knowledge and experience of the human race."
पाठ्यवस्तु एवं पाठ्यचर्या
(Syllabus and Course of Study)
पाठ्यवस्तु - पाठ्यक्रम के लिए पाठ्यक्रम के साथ-साथ पाठ्यवस्तु तथा पाठ्यचर्या शब्दों को भी प्रयुक्त किया जाता है किंतु इन तीनों में अंतर है।
पाठ्यक्रम के अंतर्गत वे
सभी अनुभव आ जाते हैं जिन्हें छात्र अपने विद्यालयी जीवन में प्राप्त करते हैं।
तथा कक्षा के अंदर एवं बाहर आयोजित किए जाने वाली पाठक्रियाएं सम्मिलित होती है।
जबकि पाठ्यवस्तु
में निर्धारित पाठ्यविषयों से संबंधित क्रियाओं का ही समावेश होता है। इस प्रकार
पाठ्यवस्तु के अंतर्गत किसी विषय वस्तु का विवरण शिक्षा के लिए तैयार किया जाता है
और जिसे शिक्षक छात्रों को पढ़ाते हैं।
पाठ्यक्रम और
पाठ्यवस्तु के अंतर को भिन्न-भिन्न शिक्षाशास्त्रियों ने अपनी दृष्टि से प्रस्तुत
किया है।
हेनरी हरेप के अनुसार "पाठ्यक्रम केवल न्यूंतृत (Printed) संदेशिका है जो यह बताती है छात्र को क्या
सीखना है। पाठ्यवस्तु की तैयारी पाठ्यक्रम विकास के कार्य का एक तर्क संबंध सौमान
है।"
उदाहरण के लिए हाई
स्कूल के पाठ्यक्रम में गणित विषय सम्मिलित किया जाता है किंतु गणित विषय के अंतर्गत
जिन उपविषयों (अंकगणित, बीजगणित, रेखा गणित, इत्यादि) की एक निश्चित पाठ्य सामग्री अथवा
प्रकरण को पढ़ने के लिए जिस जिस सामग्री का उपयोग करते हैं उसे गणित के पाठ्यवस्तु
कहते हैं। इस प्रकार पाठ्यवस्तु का संबंध ज्ञानात्मक पक्ष से
होते हैं जबकि पाठ्यक्रम का संबंध बालक के संपूर्ण विकास से होता
है।
विद्यालय के
अंतर्गत शिक्षण क्रियाओं का संबंध ज्ञानात्मक पक्ष से होता है। खेलकूद तथा
शारीरिक परीक्षण का संबंध शारीरिक विकास से होता है। सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास
हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं विशेष त्योहारों को मनाने के लिए परियोजना से
सांस्कृतिक विकास होता है। एनसीसी तथा स्काउटिंग आदि के कार्यक्रम से नेतृत्व के
गुणों का विकास होता है।
इस प्रकार पाठ्यक्रम
के अंतर्गत विद्यालय की समस्त क्रियाओं का समावेश होता है तथा स्वरूप व्यापक होता
है जबकि पाठवस्तु का स्वरूप सुनिश्चित होता है तथा इसके अंतर्गत केवल
शिक्षण विषयों के प्रकरणों को ही सम्मिलित किया जाता है।
पाठ्यचर्या - पाठ्यक्रम के लिए प्रचलित शब्दों में
एक नया शब्द है जिसका प्रयोग पाठ्यक्रम को क्रमबद्ध, स्पष्ट, विषयवाद, एवं विस्तृत रूप के लिए किया जाता है। पाठ्यचर्चा, पाठ्यक्रम के उस पक्ष को कहा जाता है जिसे
कक्षा में प्रयोग हेतु व्यवस्थित किया जाता है। इसमें विषयवस्तु के अतिरिक्त
शिक्षकों, छात्रों तथा प्रकरणों के उपयोग में आने वाली
सामग्री एवं कार्य विधि के निर्देश में ही सम्मिलित होते हैं।
कार्टर वी. गुड शिक्षाशास्त्री
के अनुसार - "पाठ्यचर्या विद्यालय के कार्यालय की संदेशिका
होती है जो किसी कक्षा का किसी विषय के शिक्षण में सहायता के लिए विद्यालय विशेष
अथवा व्यवस्था के लिए तैयार की जाती है। इसके अंतर्गत पाठ्यक्रम के लक्ष्य
अपेक्षित परिणाम अध्ययन सामग्री की प्रकृति एवं विस्तार तथा उपयुक्त सहायक सामग्री
एवं पाठवस्तु के साथ-साथ अनुपूरक पुस्तकों, शिक्षण विधियों, सहगामी क्रियाओं तथा उपलब्धि के मापन सुझाव
भी दिए जाते हैं।"
कुछ शिक्षाशास्त्रियों
ने पाठ्यवस्तु एवं पाठ्यचर्या को एक ही अर्थ में प्रस्तुत किया है
वर्तमान समय में पाठ्यवस्तु के स्थान पर पाठ्यचर्या प्रयुक्त अधिक
होने लगा है।
Modern term related to curriculum
(पाठ्यक्रम से संबंधित आधुनिक पद) -
वर्तमान समय में पाठ्यक्रम
से संबंधित कुछ नवीन पदों का प्रचलन बढ़ता जा रहा है जो इस प्रकार है-
1.Core
curriculum (सामान्य पाठ्यक्रम/केंद्रभूत
पाठ्यक्रम)2.Correlation
(सुसंबंधता)3.Fusion
(समिश्रण)4.
Integration (एकीकरण)5.Units
(इकाई)6.Action
research (क्रियात्मक
अनुसंधान)
1.Core
Curriculum (सामान्य पाठ्यक्रम/केंद्रभूत पाठ्यक्रम)-
core शब्द सामान्य केंद्रय, निश्चित एवं आवश्यक शब्द प्रायाय रूप है। अतः समान पाठ्यक्रम
के अंतर्गत उस ज्ञान एवं अनुभव को सम्मानित किया जाता है जो सभी छात्रों के लिए
(चाहे वे जीवन में कहीं भी प्रवेश करना चाहते हो) समान रूप से आवश्यक माना जाता
है। इस प्रकार कोर करिकुलम पाठ्यक्रम में कुछ विषय अनिवार्य
तो होते हैं तथा कुछ ऐच्छिक होते हैं। ऐच्छिक विषयों को व्यक्तिगत रुचियां
एवं क्षमता के आधार पर चुना जाता है। इसके अंतर्गत प्रत्येक बालक को व्यक्तिगत
तथा सामाजिक दोनों प्रकार की समस्याओं के संबंध में ऐसे अनुभव प्रदान किए जाते
हैं जिनके द्वारा हुआ अपने भावी जीवन में आने वाली प्रत्येक समस्या का समाधान सरलतापूर्वक, कुशल एवं उत्तम नागरिक की तरह कर सकें। इस प्रकार इस पाठ्यक्रम का
उद्देश्य व्यक्ति एवं समाज दोनों का विकास करना है।
2.Correlation
(सुसंबंधता) -
ज्ञान एक इकाई है किंतु
इसके विशाल भंडार को देखते हुए अपनी सुविधा के लिए मनुष्य ने ज्ञान को अनेक संख्याओं एवं
उपशाखाओं में विभाजित कर लिया है। ज्ञान की इन्हीं शाखाओं एवं उपशाखाओं से विभिन्न
विषयों का उदय हुआ है। सुसंबंधता की अवधारणा विभिन्न विषयों को संबंधित
कर पढ़ने से विकसित हुआ है। सुसंबंधता की अवधारणा से पाठ्यक्रम का
अत्याधिक विकास हुआ है। सुसंबंधता का तात्पर्य या नहीं है कि अनावश्यक
रूप से विषयों का संबंध करने का प्रयास किया जाए या दो विषयों को इतना अधिक
संबंधित मान लिया जाए कि उसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाए।
3.Fusion
(समिश्रण) -
सामूहिकरण या सामिश्रण की अवधारणा का जन्म ज्ञान के विस्तृत क्षेत्र के आवश्यक अंगों को समिश्रित ढंग से
प्रस्तुत करना है। इस प्रकार समिश्रण या सामूहिकरण के अंतर्गत स्कूल स्तर
पर इतिहास,
भूगोल, नागरिकशास्त्र, विषयों को समिश्रित करके सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में तथा भौतिकी, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान आदि विषयों को समिश्रित कर सामान्य
विज्ञान के विषय के रूप
में प्रस्तुत किया गया है। इसी प्रकार कुछ विषयों को वह विषय के रूप में समिश्रित
किया जाता है जैसे- अंकगणित, बीजगणित, एवं रेखा गणित को गणित विषय के अंतर्गत ही पढ़ाया जाता है।
4.Integration (एकीकरण) -
इसकी सिद्धांत के
अनुसार मस्तिष्क एक इकाई है। मस्तिष्क ज्ञान के छोटे-छोटे टुकड़ों को प्राप्त कर
उसे पूर्ण रूप में ग्रहण कर लेता है वही वस्तु या विचार मस्तिष्क में ज्ञान के रूप
में स्थिर होता है जो पूर्ण अर्थ देता है। शिक्षा का उदय बालकों को ज्ञान की एकता से
परिचित कराना है। शिक्षा का यही उद्देश्य विषयों को अलग-अलग रूप में पढ़ाने से
पूरा किया जा सकता है। एकीकरण के अवधारणा से एकीकृत पाठ्यक्रम का
उदय हुआ है। अमेरिका के विश्वविद्यालय में इस प्रकार के पाठ्यक्रम का
सर्वाधिक विकास हुआ है। एकीकरण के सिद्धांत के अनुसार "कोई विचार अथवा
क्रिया तभी प्रभावशाली एवं उपयोगी होती है जब उसके विभिन्न अंगों एवं पक्षों में
एकता होती है।"
5.Units
(इकाई) -
अध्ययन अध्यापन की
सुविधा की दृष्टि से प्राचीन समय से ही पाठ्यक्रम को विभिन्न प्रकरणों में
विभाजित किया जा रहा है। लेकिन वर्तमान समय में इसके महत्व पर विशेष बल दिया जाने
लगा है तथा प्रक्रम विभाजन को बरकरार रखते हुए इकाई विभाजन को अपनाया जा रहा है।
इकाई
विभाजन 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से प्रकाश में आया।
इकाई से संबंधित अनेक नाम प्रचलित है जैसे- कार्य इकाई, विषय वस्तु इकाई, अनुभव इकाई, प्रक्रिया इकाई, बाल केंद्रित इकाई, अध्यापन इकाई, संदर्भ इकाई इत्यादि। वास्तव में या नाम पाठ्यक्रम संगठन के विभिन्न
उपग्रहों एवं सप्रत्ययों पर आधारित है।
6.Action Research (क्रियात्मक अनुसंधान) -
क्रियात्मक अनुसंधान एक विधि है जिसके द्वारा किसी कार्यप्रणाली की समस्या का अध्ययन वस्तुनिष्ठ
ढंग से किया जाता है तथा उसमें सुधार लाया जाता है। क्रियात्मक अनुसंधान का
प्रयोग केवल शिक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं होता है बल्कि जीवन के विभिन्न
क्षेत्रों में कार्य करने वाले अपने कार्यप्रणाली की समस्याओं के अध्यापन के लिए
इसका प्रयोग करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान की
प्रक्रिया को उपयोग में लाने का श्रेय 'स्टीफन एन कोरी' को है तथा इसके
द्वारा ही क्रियात्मक अनुसंधान को सर्वप्रथम प्रयोग में लाया गया।
इसकी उत्पत्ति का स्रोत को "आधुनिक मानव संगठन के सिद्धांत" भी कहते हैं। इस
सिद्धांत के प्रमुख धारणा है कि व्यवस्था अथवा संगठन में कार्यकुशलता के साथ-साथ
समस्या समाधान की भी क्षमता है। पाठ्यक्रम में वांछित सुधार हेतु इसकी समस्याओं का
वस्तुनिष्ठ अध्ययन करने के लिए क्रियात्मक अनुसंधान का प्रयोग किया जाता
है।
