नमस्ते! दोस्तों आज हम लोग जानेंगे ब्लूम टैक्सनॉमी क्या है ? ब्लूम के अनुसार शिक्षण प्रक्रिया क्या है ? ब्लूम टैक्सनॉमी में कितने भाग होते हैं? ज्ञानात्मक पक्ष के कितने भाग होते हैं? 2001 रिवाइज्ड ब्लूम वर्गीकरण क्या है? भावात्मक पक्ष के कितने भाग होते हैं? और क्रियात्मक पक्ष के कितने भाग होते हैं?
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| Cognitive Domain of Bloom's Taxonomy |
Bloom's Taxonomy of Educational Objectives
(ब्लूम के शैक्षिक उद्देशयों का वर्गीकरण)
अंग्रेजी में Taxonomy शब्द का अर्थ होता है, "Classification" अथवा "वर्गीकरण" । जब इसका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है तो इसका तात्पर्य शैक्षिक उद्देश्यों की एक व्यवस्थित क्रम से होता है, इस प्रकार का व्यवस्थितकरण या वर्गीकरण शिक्षा से संबंधित प्रत्येक प्रकार के व्यक्ति के लिए उपयोगी होता है।
यह Taxonomy निम्नलिखित तीन प्रकार के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।
1. शैक्षिक सिद्धांत।
2. तार्किक सिद्धांत।
3. मनोवैज्ञानिक सिद्धांत।
शिक्षा व्यक्ति के
संज्ञान के पदों को खोलने का एक उपाय है। पर शिक्षा के विस्तार के साथ-साथ अधिकांश शिक्षित
व्यक्ति भी यह नहीं जानते कि शिक्षा का उद्देश्य क्या है ? प्रायः लोग
शिक्षा को नौकरी प्राप्त करने का साधन मानते हैं। पर शिक्षा के उद्देश्यों की आवश्यकता
शिक्षा के हर स्तर पर पड़ती है। यह आवश्यकता शिक्षा प्रदान करने वालों और शिक्षा ग्रहण करने वाले
दोनों ही लोगों को होती है। अतः इनका ज्ञान शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के लिये आवश्यक है।
शैक्षिक
उद्देश्यों को प्रायः निर्देशन उद्देश्य (Instructional objectives) या शैक्षिक
उद्देश्य (Educational
objectives) के नाम से जाना जाता है।
इनका निर्माण आधारभूत दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक तथा वैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुरूप होना
चाहिये।
शैक्षिक
उद्देश्यों को समझाते हुए हॉसटन (Hostan, 1970) ने लिखा है
कि, “एक शैक्षिक
उद्देश्य व्यवहार रूप में प्रगट एक क्षमता या निपुणता है जो शिष्य
वहाँ अर्जित या विकसित करते हैं जहाँ शिक्षण वह करने
में सफल है जिसे करने के लिये उसे प्रतिपादित किया गया है।” (“An instructional objective is an
ability or skill expressed in behavioural forms which the pupils acquires or
develops where the teaching has been successful in doing what it set out to
do.”)
इस परिभाषा से यह स्पष्ट
होता है कि अधिगम की रुचियों में बालक जो योग्यताएँ या कौशलविकसित करता है उन्हें
ही शिक्षा की संज्ञा दी जाती है। शिक्षा के उद्देश्यों की आधारभूत मान्यता बालक के व्यवहार
में अनुकूल परिवर्तन करना है। अतः शैक्षिक उद्देश्यों को विकसित करते समय निम्नांकित
तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिये-
1. बालक की
आवश्यकताएँ तथा क्षमताएँ,
2. समाज की
आवश्यकताएँ तथा आशाएँ और
3. विषय-वस्तु का
स्वरूप।
Bloom's के शैक्षिक उद्देश्य-
शैक्षिक उद्देश्यों को व्यवहार परिवर्तन के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास 20वीं शताब्दी के छठे दशक में कुछ वैज्ञानिकों ने किया।
सन् 1956 में 'ब्लूम की टैक्सोनोमी' प्रकाशित हुई। इसका निर्माण कार्य
ब्लूम द्वारा किया गया इसलिये यह bloom's taxonomy के नाम से प्रचलित हुई। ब्लूम के वर्गीकरण को “शिक्षा के
उद्देश्यों” के नाम से जाना
जाता हैं। उन्होंने शैक्षिक उद्देश्यों को ज्ञानात्मक भावात्मक और क्रियात्मक
वर्गों में वर्गीकृत किया और उन्होंने बताया कि बालक के व्यवहार में परिवर्तन और विकास तीनों क्षेत्रों में हो सकते हैं, याथार्थ संज्ञानात्मक
क्षेत्र (Cognitive Domain), भावात्मक क्षेत्र
(Affective Domain), क्रियात्मक क्षेत्र (Psychomotor
Domain)।
इसी आधार पर Bloom में शैक्षिक उद्देश्यों को तीन भागों
में विभाजित किया-
1. संज्ञानात्मक
क्षेत्र के उद्देश्य (Objective in Cognitive
Domain)
2. भावात्मक
क्षेत्र के उद्देश्य (Objectives in Affective
Domain)
3. क्रियात्मक क्षेत्र के उद्देश्य (Objectives in Psychomotor Domain) |
वे उद्देश्य जिनसे बालक
की बौद्धिक योग्यताओं, क्षमताओं, कौशल आदि का विकास
होता है, संज्ञानात्मक क्षेत्र के उद्देश्यों के
अन्तर्गत आते हैं। वे उद्देश्य जिनसे बालक की रुचियों, अभिवृत्तियों, मूल्य और दृष्टिकोण का विकास होता
है, भावात्मक उद्देश्यों के अन्तर्गत आते
हैं। जिन उद्देश्यों से बालक के भौतिक और माँसपेशीय योग्यताओं और कौशलों का
विकास होता है वे क्रियात्मक उद्देश्य कहलाते हैं। उपर्युक्त तीनों
उद्देश्य एक-दूसरे पर आच्छादित होते हैं और कदाचित ही किसी एक क्षेत्र के उद्देश्य
की पूर्ति अन्य दोनों क्षेत्रों की अवहेलना कर हो सकती है। पर किस क्षेत्र पर बल
दिया जा रहा है उसी के अनुरूप उद्देश्यों का वर्गीकरण अलग-अलग तीन वर्गों में किया
गया है। इस प्रकार का वर्गीकरण शैक्षिक दृष्टि से काफी लाभकारी सिद्ध हुआ है।
संज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक क्षेत्रों को पुनः कुछ
भागों में बाँटा गया है। इस प्रकार के उप-विभाजन को उद्देश्यों का वर्गीकरण (Taxonomies of objectives) कहा जाता है।
संज्ञानात्मक क्षेत्र का वर्गीकरण ब्लूम
(Bloom) तथा उसके
सहयोगियों ने 1956 में किया। संज्ञानात्मक क्षेत्र का सम्बन्ध ज्ञान की प्रतिभिज्ञा
और पुनःस्मरण तथा बौद्धिक क्षमताओं और कौशल के विकास से है।
यह वह क्षेत्र है जो परीक्षण विकास के लिये ध्रुवीय है। यह वह क्षेत्र है
जिसके अन्तर्गत पाठ्यक्रम विकास का अधिकतर कार्य हुआ है।
दूसरा क्षेत्र भावात्मक
क्षेत्र है जिसके अन्तर्गत रुचियों, अभिवृत्तियों और मूल्यों
में परिवर्तन तथा पर्याप्त समायोजन का विकास होता है। इसका वर्गीकरण
1964 में क्रथवाल (Krathwal), ब्लूम (Bloom) तथा मसीआ (Massia) ने किया था।
तीसरा क्षेत्र क्रियात्मक
क्षेत्र है जिसका सम्बन्ध माँसपेशीय एवं शारीरिक क्रियाओं के समन्वय से
है। इस क्षेत्र का वर्गीकरण 1966 में सिम्पसन (Simpson) ने किया था। इस
सम्बन्ध में आपने लिखा, “The psychomotor domain
includes those objectives which deal with mannual and motor skills."
Cognitive Domain of Bloom's Taxonomy
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| Benjamin Bloom |
Benjamin. S. Bloom का शैक्षिक उद्देश्यों का वर्गीकरण इस प्रकार है -
1. ज्ञानात्मक पक्ष (Cognitive domain)
2. भावात्मक पक्ष (Affective domain)
3. क्रियात्मक पक्ष (Psychomotor domain/Conative
domain)
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| Cognitive Domain of Bloom's Taxonomy |
1. ज्ञानात्मक पक्ष (Cognitive domain)
1. ज्ञान (Knowledge)
2. बोध
(Comprehension)
3. अनुप्रयोग (Application)
4. विश्लेषण (Analysis)
5. संश्लेषण (Synthesis)
6. मूल्यांकन (Evaluation)
2. भावात्मक पक्ष (Affective domain)
1. स्वीकार करना (Receiving)
2. अनुक्रिया करना (Responding)
3. मूल्य-निर्धारण
(Valuing)
4. व्यवस्था या संगठन (Organization)
5. मूल्य द्वारा विशिष्टीकारण (Characterization by a value)
3. क्रियात्मक
पक्ष (Psychomotor domain / Conative domain)
1.
प्रत्यक्षीकरण (Perception)
2. मनोस्थिति
(Set)
3. निर्देशित प्रतिक्रिया (Guided Response)
4. कार्य कौशल (Mechanism)
5. जटिल बाह्य व्यवहार (Complex Overt Behaviour)
Bloom का ज्ञानात्मक क्षेत्र (Cognitive Domain ):
ज्ञानात्मक क्षेत्र में Bloom ने अपने उद्देश्यों में ज्ञान, बोध, तथा प्रयोग को निम्न स्तर, विश्लेषण तथा संश्लेषण को मध्य स्तर, तथा मूल्यांकन को उच्च स्तर पर माना गया है। ये 6 विभाग मिलकर शैक्षिक क्रिया को स्वचालित बनाते हैं। जब एक बार यह क्रिया शुरू हो जाती है तब इसका पुनः चक्र चलने लगता है।
Bloom द्वारा विकसित ज्ञानात्मक क्षेत्र का वर्णन -
|
स्तर (Level) |
वर्ग (Class) |
सीखने की उपलब्धियां (Learning Outcomes) |
कार्य क्रियाएं (Action Verbs) |
|
निम्न स्तर |
ज्ञान (Knowledge) |
1.विशिष्ट ज्ञान 2.शब्दावली का ज्ञान 3.विशिष्ट तत्वों का ज्ञान 4.विशिष्ट को व्यक्त करने का ज्ञान 5.परंपराओं का ज्ञान 6.प्रवृत्तियों एवं क्रम का ज्ञान 7.वर्गीकरण का ज्ञान 8.कसौटी का ज्ञान 9.रीतिविधान का ज्ञान 10.सार्वभौमिकता और अमूर्त का ज्ञान 11.तथ्यों का सामान्यीकरण का ज्ञान 12.सिद्धांतों तथा संरचनाओं का ज्ञान |
परिभाषा देना, कहना, पहचानना, चुनना,
नाम बताना, लिखना, सूची
बनाना, दोहराना, प्रत्यास्मरण करना,
अभिज्ञान, रेखांकित, मापन, मिलाना आदि। |
|
निम्न स्तर
|
बोध (Comprehension) |
1.अनुवाद 2.विवेचना 3.विस्तार |
सारांश देना, उदाहरण देना, व्याख्या करना, अंतर बताना, सामान्यीकरण करना, पुनःलिखना, बदलना, अनुमान लगाना, औचित्य सिद्ध करना, संकेत देना, वर्गीकरण करना, प्रतिनिधित्व करना, और अपने शब्दों में बताना आदि। |
|
निम्न स्तर
|
अनुप्रयोग (Application) |
1.
नियमों एवं सिद्धांतों का समानीकरण 2.
निदान 3.पाठ्यक्रम का प्रयोग करना |
चयन करना, छांटना, पाना, प्रदर्शन करना,
दिखाना, निर्णय करना, गणना
करना, प्रयोग करना, रचना करना,
खोजना, भविष्यवाणी करना, परिवर्तित करना और तैयारी करना आदि। |
|
मध्य स्तर |
विश्लेषण (Analysis) |
1.तत्वों का विश्लेषण 2.
संबंधों का विश्लेषण 3.संगठनात्मक सिद्धांतों का विश्लेषण |
विश्लेषण करना, उदाहरण देना, पृथक्कीकरण करना, संकेत करना, संबंध स्थापित करना, पहचानना, विभेदीकरण करना और आलोचना करना आदि। |
|
मध्य स्तर |
संश्लेषण (Synthesis) |
1.विशेष संप्रेषण की उत्पत्ति 2. योजना या
संक्रिया-विन्यास का निर्माण करना 3.अमूर्त संबंधों के
विन्यास द्वारा व्युत्पत्ति |
योग करना, पुनः व्याख्या करना,
सारांश देना, पुनः लिखना, मिलाना, प्रारूप तैयार करना, सृजन करना, विभाजित करना,
संकलित करना, संगठित करना, और वर्णन करना आदि। |
|
उच्च स्तर |
मूल्यांकन
(Evaluation) |
1.आंतरिक
साक्ष्य के संदर्भ में निर्णय 2.बाह्य
साक्ष्य के संदर्भ में निर्णय |
अवगत कराना,
तुलना करना, निष्कर्ष निकालना, आलोचना करना, सारांश देना, उचित ठहराना, व्याख्या
करना, निर्णय लेना, निर्धारण, और मूल्यांकन करना आदि।
|
Bloom का भावात्मक पक्ष (Affective Domain):
भावात्मक उद्देश्यों में रुचियों, अभिवृत्तियों, संवेदनों
से संबंधित उद्देश्यों का व्याख्या करता है। Bloom ने
भावात्मक पक्ष को 5 भागों में विभाजित किया जो निम्न प्रकार है -
|
वर्ग (Class) |
सीखने की उपलब्धियां (Learning Outcomes) |
कार्य क्रियाएं (Action Verbs) |
|
स्वीकार करना (Receiving) |
1.अभिज्ञा 2.ग्रहण करने की इच्छा 3.नियंत्रित या चयनित अवधान |
बताना, पहचानना, स्वीकार करना, ग्रहण करना, प्रत्यक्षीकरण
करना, चयन करना, पसंद करना, और सूचना देना आदि। |
|
अनुक्रिया करना (Responding) |
1.अनुगमन 2.उत्तर देने
की इच्छा 3.अनुक्रिया
में तृप्ति |
उत्तर देना, विकास करना, कथन करना, लिखना, सूची बनाना, चयन करना, सहायता
करना, सूचित करना, प्रस्तुत करना और संकलन करना आदि। |
|
मूल्य-निर्धारण (Valuing)
|
1.मूल्य को स्वीकारना 2.मूल्य की प्राथमिकता 3.वचनबद्धता
|
स्वीकारना, भाग लेना, प्रभावित करना, पहचानना, वृद्धि करना, निर्णय लेना, प्रस्तावित करना, आमंत्रित करना, पूरा करना, मिलाना, भाग लेना, और दिखाना आदि। |
|
व्यवस्था या संगठन (Organization)
|
1.मूल्य की
अवधारणा 2.मूल्य क्रम
की व्यवस्था |
क्रमिक रूप देना, परिवर्तन करना, संगठित करना, वर्णन करना, आदेश देना,
संशोधन करना, निश्चित करना, और
सामायोजन करना आदि। |
|
मूल्य द्वारा विशिष्टीकारण (Characterization by a value) |
1.सामान्यीकृत विन्यास 2.विशेषीकरण |
कार्य करना, हल करना, दोहराना, बदलना, स्वीकारना, प्रदर्शित
करना, अभ्यास करना, प्रस्तावित करना, विकसित करना आदि। |
Bloom का क्रियात्मक पक्ष (Psychomotor Domain / Conative Domain) :
मनोक्रियात्मक
क्षेत्र की taxonomy में
शारीरिक तथा क्रियात्मक कौशलों पर बल दिया जाता है। इस क्षेत्र की taxonomy
अभी पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुई है। Bloom तथा Krathwal
की परिपाटी के अनुरूप Simpson (1966) तथा किवलर (1970) ने इस
क्षेत्र के उद्देश्यों को वर्गीकृत करने का प्रयास किया है इस वर्गीकरण के अनुसार
इस उद्देश्य को पांच उप भागों में वर्गीकृत किया गया है।
|
वर्ग (Class) |
सीखने की उपलब्धियां (Learning Outcomes) |
कार्य क्रियाएं (Action Verbs) |
|
प्रत्यक्षीकरण
(Perception) |
1.इंद्रियों
के द्वारा वस्तुओं के प्रति जागरूकता 2.विशेषताओं
के प्रति जागरूकता 3.संबंधों के
प्रति जागरूकता |
निर्माण करना, और चित्र बनाना आदि। |
|
मनोस्थिति (Set) |
1.मानसिक समायोजन के लिए तत्परता 2. शारीरिक समायोजन के लिए तत्परता 3.संवेगात्मक समायोजन के लिए तत्परता |
प्रारूप तैयार करना, और बनाना। |
|
निर्देशित प्रतिक्रिया (Guided Response) |
1.जटिल कौशल
वाली क्रियाओं पर बल देना |
पहचानना, और स्थापित करना। |
|
कार्य कौशल (Mechanism)
|
1. किसी कार्य को संपादित करने में
कौशलता के किन्ही अंशो का प्राप्त करना 2.किसी कार्य को संपादित करने के लिए
आत्मविश्वास का प्राप्त करना |
मरम्मत करना, तथा अभ्यास करना। |
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जटिल बाह्य व्यवहार (Complex Overt Behaviour) |
1.जटिल
क्रियाओं को निपुणता से करना 2.जटिल
मांसपेशियां क्रियाओं को सुचारू रूप से करना |
जोड़ना, सृजन करना, बदलना, पता लगाना, आदि। |


